क्या है वसंत पंचमी का महत्व इस दिन होती है सरस्वती जी की पूजा

Jai maa Saraswati

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माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था।
नई दिल्ली। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था। पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का था। इस जल से हाथ में वीणा धारण कर जो शक्ति प्रकट हुई वह सरस्वती देवी कहलाई। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों में वाणी मिल गई। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का दिन भी माना जाता है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था।
नई दिल्ली। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा के दिन के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था। पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का था। इस जल से हाथ में वीणा धारण कर जो शक्ति प्रकट हुई वह सरस्वती देवी कहलाई। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों में वाणी मिल गई। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का दिन भी माना जाता है।
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शास्त्रों में बसंत पंचमी के दिन कई नियम बनाए गए हैं, जिसका पालन करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए और मां सरस्वती की पीले और सफेद रंग के फूलों से ही पूजा करनी चाहिए।मां सरस्वती की पूजा विधि-
– सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
– मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
– मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें।
– उनका ध्यान कर ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।
– मां सरस्वती की आरती करें और दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं।
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मां सरस्वती को कैसे करें प्रसन्न-
– सरस्वती माता पीले फल, मालपुए और खीर का भोग लगाने से माता सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
– बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को बेसन के लड्डू अथवा बेसन की बर्फी, बूंदी के लड्डू अथवा बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।
– श्रेष्ठ सफलता प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती पर हल्दी चढ़ाकर उस हल्दी से अपनी पुस्तक पर “ऐं” लिखें।
– बसंत पंचमी के दिन कटु वाणी से मुक्ति हेतु, वाणी में मधुरता लाने के लिए देवी सरस्वती पर चढ़ी शहद को नित्य प्रात: सबसे पहले थोड़ा सा अवश्य चखें।
– बसंत पंचमी के दिन गहनें, कपड़ें, वाहन आदि की खरीदारी आदि भी अति शुभ मानी जाती है।
क्या करें अगर एकाग्रता की समस्या है?
– जिन लोगों को एकाग्रता की समस्या हो।
– आज से नित्य प्रातः सरस्वती वंदना का पाठ करें।
– बुधवार को मां सरस्वती को सफ़ेद फूल अर्पित किया करें।
अगर सुनने या बोलने की समस्या होती है?
– सोने या पीतल के चौकोर टुकड़े पर मां सरस्वती के बीज मंत्र को लिखकर धारण कर सकते हैं।
– बीज मंत्र है “ऐं”
– इसको धारण करने पर मांस मदिरा का प्रयोग न करें।
अगर संगीत या कला के क्षेत्र में सफलता पानी है?
– आज केसर अभिमंत्रित करके जीभ पर “ऐं” लिखवाएं।
– किसी धार्मिक व्यक्ति या माता से लिखवाना अच्छा होगा।
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आज के दिन सामान्य रूप से क्या-क्या करना बहुत अच्छा होगा?
– आज के दिन मां सरस्वती को कलम अवश्य अर्पित करें और वर्ष भर उसी कलम का प्रयोग करें।
– पीले या सफ़ेद वस्त्र जरूर धारण करें और काले रंग से बचाव करें।
– केवल सात्विक भोजन करें तथा प्रसन्न रहें और स्वस्थ रहें।
– आज के दिन पुखराज और मोती धारण करना बहुत लाभकारी होता है।
– आज के दिन स्फटिक की माला को अभिमंत्रित करके धारण करना भी श्रेष्ठ परिणाम देता है।
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