Tuesday, 29 January 2019

sai baba ke chamatkar ki kahani


सांईं बाबा के बारे में तो हम सब ने सुना है वो हर धर्म को मानते थे और हर धर्म उनको मानता है आपके सामने प्रस्तुत उनकी कुछ महान कहानियां

Sai Baba of Shirdi
Sai Baba of Shirdi

पहली कहानी


सांईं बाबा प्रतिदिन मस्जिद में दीया जलाते थे। इसके लिए वे बनियों से तेल मांगने जाते थे। लेकिन एक दिन बनियों ने बाबा से कह दिया कि बाबा हमारे पास तेल नहीं है। तब बाबा वहां से चुपचाप चले गए और मस्जिद जाकर उन्होंने दीये में तेल की जगह पानी डाला और दीया जल पड़ा और यह बात चारों तरफ फैल गई। तब वहां के बनिये उनके सामने आए और उनसे मांफी मांगी तो बाबा ने उन्हें माफ कर दिया और उनसे कहा कि ‘अब कभी झूठ मत बोलना।’

दूसरी कहानी


एक बार बाबा का भक्त बहुत दूर से अपनी पत्नी को लेकर बाबा के दर्शन के लिए आया और जब वह जाने लगा तो जोरों से बारिश होने लगी। तब उनका भक्त परेशान होने लगा तब बाबा ने उनकी परेशानी को देखकर कहा, हे अल्लाह! बारिश को रोक दो, मेरे बच्चों को घर जाना है और तत्काल ही बारिश रुक गई।

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तीसरी कहानी


एक बार गांव के एक व्यक्ति की एक बेटी अचानक खेलते हुए वहां के कुएं में गिर गई। लोगों को लगा कि वह डूब रही है। सब वहां दौड़कर गए और देखा कि वह हवा में लटकी हुई है और कोई अदृश्य शक्ति उसे पकड़े हुए है। वे और कोई नहीं बाबा ही थे, क्योंकि वह बच्ची कहती थी कि मैं बाबा की बहन हूं। अब लोगों को कोई और स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं थी।

चौथी कहानी


म्हालसापति के यहां जब पुत्र हुआ तो वे उसे बाबा के पास लेकर आए और उसका नामकरण करने के लिए कहने लगे। बाबा ने उस पुत्र को देखकर म्हालसापति से कहा कि इसके साथ अधिक आसक्ति मत रखो। सिर्फ 25 वर्ष तक ही इसका ध्यान रखो, इतना ही बहुत है। ये बात म्हालसापति को तब समझ आई, जब उनके पुत्र का 25 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। 1922 में भगत म्हालसापति का देहांत हो गया।

पांचवीं कहानी


एक दिन बाबा ने 3 दिन के लिए अपने शरीर को छोड़ने से पहले म्हालसापति से कहा कि यदि मैं 3 दिन में वापस लौटूं नहीं तो मेरे शरीर को अमुक जगह पर दफना देना। 3 दिन तक तुम्हें मेरे शरीर की रक्षा करना होगी। धीरे-धीरे बाबा की सांस बंद हो गई और शरीर की हलचल भी बंद हो गई। सभी लोगों में खबर फैल गई कि बाबा का देहांत हो गया है। डॉक्टर ने भी जांच करके मान लिया कि बाबा शांत हो गए हैं।

लेकिन म्हालसापति ने सभी को बाबा से दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि 3 दिन तक इनके शरीर की रक्षा की जिम्मेदारी मेरी है। गांव में इसको लेकर विवाद हो गया लेकिन म्हालसापति ने बाबा के सिर को अपनी गोद में रखकर 3 दिन तक जागरण किया। किसी को बाबा के पावन शरीर को हाथ भी नहीं लगाने दिया। 3 दिन बाद जब बाबा ने वापस शरीर धारण किया, तो जैसे चमत्कार हो गया। चारों ओर हर्ष व्याप्त हो गया।

छठी कहानी


मुंबई के रहने वाले काका महाजनी का विचार शिर्डी में एक सप्ताह ठहरने का था। पहले दिन दर्शन करने के बाद बाबा ने उनसे पूछा, ‘तुम कब वापस जाओगे?’ उन्हें बाबा के इस प्रश्न पर आश्चर्य-सा हुआ। तब उन्होंने कहा, ‘जब आप आज्ञा दें तब।’ बाबा ने कहा, ‘कल ही।’ यह सुनकर काका महाजनी ने तुरंत शिर्डी से प्रस्थान कर लिया। जब वे मुंबई अपने ऑफिस में पहुंचे तो उन्होंने अपने सेठ को अतिउत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करते पाया, क्योंकि मुनीम के अचानक ही अस्वस्थ हो जाने के कारण काका की उपस्थिति अनिवार्य हो गई थी। सेठ ने काका को बुलाने के लिए पत्र लिखा था, जो उनके पते पर वापस लौट आया।

सातवीं कहानी


बाबा का जब हाथ जल गया था, तो भागोजी शिंदे ही उनके हाथ पर घी मलने और पट्टी लगाने का कार्य करते थे। भागोजी शिंदे कुष्ठ रोगी थे। चांदोरकरजी बाबा के लिए मुंबई से एक डॉक्टर परमानंद को इलाज के लिए लेकर आए थे लेकिन बाबा ने इंकार कर दिया और वे शिंदे के हाथों घी लगाकर ही ठीक हो गए।

आठवीं कहानी


धुमाल एक मुकदमे के संबंध में निफाड़ के न्यायालय को जा रहे थे। मार्ग में वे शिर्डी उतरे। उन्होंने बाबा के दर्शन किए और तत्काल ही निफाड़ को प्रस्थान करने लगे, परंतु बाबा की स्वीकृति प्राप्त न हुई। उन्होंने उन्हें शिर्डी में 1 सप्ताह और रोक लिया। इसी बीच में निफाड़ के न्यायाधीश उदरपीड़ा से ग्रस्त हो गए। इस कारण उनका मुकदमा किसी अगले दिन के लिए बढ़ाया गया। 1 सप्ताह बाद भाऊसाहेब को लौटने की अनुमति मिली। इस मामले की सुनवाई कई महीनों तक और 4 न्यायाधीशों के पास हुई। फलस्वरूप धुमाल ने मुकदमे में सफलता प्राप्त की और उनका मुवक्किल मामले में बरी हो गया।

नौवीं कहानी


नासिक के प्रसिद्ध ज्योतिष, वेदज्ञ, 6 शास्त्रों सहित सामुद्रिक शास्त्र में भी पारंगत मुले शास्त्री एक बार नागपुर के धनपति सांईं भक्त बापूसाहेब बूटी के साथ शिर्डी पधारे। हस्तरेखा विशारद होने के नाते मुले शास्त्री ने बाबा के हाथ की परीक्षा करने की प्रार्थना की, परंतु बाबा ने उनकी प्रार्थना पर कोई ध्यान न देकर उन्हें 4 केले दिए और इसके बाद सब लोग वाड़े को लौट आए। वाड़े से लौटने के बाद में आरती के समय बापूसाहेब से बाबा ने कहा कि वो मुले से कुछ दक्षिणा ले आओ। मुले जब दक्षिणा देने के लिए गए तो वे मस्जिद के बाहर ही खड़े रहकर बाबा पर पुष्प फेंकने लगे। लेकिन जब उन्होंने ध्यान से देखा तो उन्हें बाबा की जगह उनके कैलासवासी गुरु घोलप स्वामी दिखाई देने लगे। वे उनकी स्तु‍ति करने लगे और जब आंख खोली तो उन्हें बाबा को दक्षिणा मांगते हुए देखा। ये चमत्कार देखकर उनका संशय दूर हो गया।

दसवीं कहानी


एक डॉक्टर अपने सांईंभक्त मित्र के साथ शिर्डी पधारे। उन्होंने मित्र से कहा कि तुम ही दर्शन करने जाओ, मैं नहीं जाऊंगा, क्योंकि मैं श्रीराम के अलावा किसी के समक्ष नहीं झुकता। खासकर किसी यवन के समक्ष और वह भी मस्जिद में तो कतई नहीं। मित्र के कहा कि तुम्हें वहां कोई झुकने या नमन करने को कोई बाध्य नहीं करेगा। अत: मेरे साथ चलो, आनंद रहेगा। वे शिर्डी पहुंचे और बाबा के दर्शन को गए। परंतु डॉक्टर को ही सबसे आगे जाते देख और बाबा की प्रथम चरण वंदना करते देख सबको बड़ा विस्मय हुआ। लोगों ने डॉक्टर से पूछा कि क्या हुआ? डॉक्टर ने बतलाया कि बाबा के स्थान पर उन्हें अपने प्रिय ईष्टदेव श्रीराम के दर्शन हुए और इसलिए उन्होंने नमस्कार किया। जब वे ऐसा कह ही रहे थे, तभी उन्हें सांईंबाबा का रूप पुन: दिखने लगा। यह देख वे आश्चर्यचकित होकर बोले कि ‘क्या यह स्वप्न है? ये यवन कैसे हो सकते हैं? अरे! अरे! ये तो पूर्ण योग-अवतार हैं।’ बाद में वे डॉक्टर वहीं रुके और उन्होंने परम अनुभूति का अनुभव किया।

Thursday, 24 January 2019

वास्तु पुरुष कोन है


वास्तु पुरुष की कहानी

Vastu shastra

वास्तु शास्त्र में वास्तु पुरुष की एक कथा है। देवताओं और असुरों का युद्ध हो रहा था। इस युद्ध में असुरों की ओर से अंधकासुर और देवताओं की ओर से भगवान शिव युद्ध कर रहे थे। युद्ध में दोनों के पसीने की कुछ बूंदें जब भूमि पर गिरी तो एक अत्यंत बलशाली और विराट पुरुष की उत्पत्ति हुई। उस विराट पुरुष से देवता और असुर दोनों ही भयभीत हो गए। देवताओं को लगा कि यह असुरों की ओर से कोई पुरुष है। जबकि असुरों को लगा कि यह देवताओं की तरफ से कोई नया देवता प्रकट हो गया है। इस विस्मय के कारण युद्ध थम गया और अंत में दोनों उस विराट पुरुष को लेकर ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने उस पुरुष को अपने मानसिक पुत्र की संज्ञा दी और उनसे कहा कि इसका नाम वास्तु पुरुष होगा। वास्तु पुरुष वहाँ पर एक विशेष मुद्रा में शयन के लिए लेट गए और उनके कुछ हिस्सों पर देवताओं ने तथा कुछ हिस्सों पर असुरों ने अपना वास कर लिया। ब्रह्मा जी ने यह भी आदेश दिया कि जो कोई भी भवन, नगर, तालाब, मंदिर आदि का निर्माण करते समय वास्तु पुरुष को ध्यान में रख कर काम नहीं करेगा तो असुर लोग उसका भक्षण कर लेंगे। जो व्यक्ति वास्तु पुरुष का ध्यान रख कर कार्य करेगा, देवता उसके कार्य में सहायक होंगे। इस प्रकार वास्तु पुरुष की रचना हुई।

क्या है वास्तु पुरुष

देव शब्द का मूल अर्थ है ‘स्वयं में प्रकाशमान’। कोई भी ऐसी शक्ति जो किसी कार्य विशेष को करने में सहायक है, उसे देवmahavastu vastu purush  कहा जाता है। देव तत्व क्या है? आप अपना या दूसरों का जीवन सुखी बनाने के लिए कुछ करने की मन से चाहत रखने लगे। यही रचनात्मक ऊर्जा है देव तत्त्व। परन्तु तभी अचानक एक द्वंद्व (कॉनफ्लिक्ट) आया कि यह कैसे हो सकता है? यह तो ऐसा हो ही नहीं सकता। अगर ऐसा हो गया तो हमें नुकसान हो जाएगा, आदि। यही डर और अज्ञान असुर तत्त्व है।

भगवान शिव और अंधकासुर का युद्ध महज प्रतीकात्मक है। वे पसीने की बूंदें इस युद्ध का संपूर्ण प्रयास (टोटल एफर्ट) हैं। उससे जिस व्यवस्था का निर्माण हुआ, वह वास्तु पुरुष है। ब्रह्मा जी ने स्पेस के एक हिस्से को, जहाँ संपूर्ण व्यवस्था का निर्माण हुआ, उस व्यवस्थित आकाश को अपने मानस पुत्र की संज्ञा दी। भवन का निर्माण होते ही संपूर्ण जगत को रचने वाली शक्तियाँ उस भवन में आ जातीं हैं। उसका अपना एक स्वरूप है, जिसे हम वास्तु पुरुष का नाम देते हैं।

वास्तु पुरुष का प्रभाव

यहां पर ब्रह्मांडीय मन (ब्रह्मा जी) ने आगे कहा कि जो व्यक्ति घर, तालाब, जलाशय, मंदिर, नगर व्यवस्था में इसका ध्यान नहीं करेगा, उसका असुर भक्षण करेगा। ध्यान का अर्थ है यदि उस व्यवस्था को समझते हुए आप कार्य नहीं करेंगे तो असुरों का भोजन बनेंगे। असुरों का भोजन होने का अर्थ है कि वहां पर जो नकारात्मक शक्तियां हैं, वे आपके भीतर भी क्रियाशील हो जाएंगी। वहां पर डर लगेगा, द्वंद्व आएगा, दुविधा आएगी और कार्य को करने के मार्ग में जो भी नकारात्मक प्रभाव है, वह जागृत हो जाएगा

Wednesday, 23 January 2019

वो कीड़ा जिसकी वजह से हज़ारों लोगों ने पत्तागोभी खानी छोड़ दी

वो कीड़ा जिसकी वजह से हज़ारों लोगों ने पत्तागोभी खानी छोड़ दी


Tep warm

वो कीड़ा जिसकी वजह से हज़ारों लोगों ने पत्तागोभी खानी छोड़ दी

आपने भी सुना होगा, पत्ता गोभी में कीड़ा होता है और वो दिमाग में घुस जाता है. इसी डर से हजारों या उससे भी ज्यादा लोग पत्ता गोभी खाना छोड़ चुके हैं. वो कीड़ा क्या है और दिमाग में कैसे घुस जाता है, जानते हैं शुरुआत से पत्ता गोभी को इंग्लिश में CABBAGE और फूल गोभी को cauliflower कहते हैं. लेकिन पत्ता गोभी और फूल गोभी एक ही प्रजाती की सब्जी से बनी हैं. पत्ता गोभी में निकलने वाले कीड़े को टेपवर्म (tapeworm) यानी फीताकृमि कहा जाता है.
कीड़ा टेपवर्म आंतों में जाने के बाद ब्लड फ्लो के साथ शरीर के अन्य हिस्सों और मस्तिष्क में पहुंच सकता है. ये बहुत छोटा होता है. हमें नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता. ये सब्जी उबालने और अच्छी तरह पकाने से मर सकता है. ये कीड़ा जानवरों के मल में पाया जाता है.
टेपवर्म बारिश के पानी या और किसी वजह से जमीन में पहुंचता है और कच्ची सब्जियों के जरिए फिर हमतक पहुंचता है. पेट में पहुंचने के बाद ये कीड़ा सबसे पहले आंतो, फिर ब्लड फ्लो के साथ नसों के जरिए दिमाग तक पहुंचता है. इसका लार्वा दिमाग को गंभीर चोट देता है.
टेपवर्म से होने वाला इन्फेक्शन टैनिएसिस (taeniasis) कहलाता है. शरीर में जाने के बाद, ये कीड़ा अंडे देता है. जिससे शरीर के अंदर जख्म बनने लगते हैं. इस कीड़ें की तीन प्रजातियां (1) टीनिया सेगीनाटा, (2) टीनिया सोलिअम और (3) टीनिया एशियाटिका होती हैं. ये लीवर में पहुंचकर ये सिस्ट बनाता है, जिससे पस पड़ जाती है. ये आंख में भी आ सकता है
ये कीड़े हमारे पेट के आहार को ही अपना भोजन बनाते हैं. जिस व्यक्ति के दिमाग में पहुंचते हैं उसे दौरे पड़ने लगते हैं. शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते. लेकिन सिर दर्द, थकान, विटामिन्स की कमी होना जैसे लक्षण दिखाई देते है. दिमाग में अंडों का प्रेशर इस कद्र बढ़ता है कि दिमाग काम करना बंद कर देता है.कहा जाता है कि दिमाग में कोई बाहरी चीज आ जाए तो उससे दिमाग का अंदरूनी संतुलन बिगड़ जाता है. एक टेपवर्म की लंबाई 3.5 से 25 मीटर तक हो सकती है. इसकी उम्र 30 साल तक होती है. इस कीड़े के इलाज के तौर पर वे दवाएं दी जाती हैं, जिससे ये मर जाए. या फिर सर्जरी भी की जा सकती है.कीड़े से बचने के लिए डॉक्टर्स का कहना है कि जिन चीज़ों में ये कीड़ा पाया जाता है, वे अधपकी खाने से टेपवर्म पेट में पहुंचते हैं. भारत में टेपवर्म का संक्रमण सामान्य है. यहां करीब 12 लाख लोग न्यूरोसिस्टिसेरसोसिस से पीड़ित हैं, ये मिर्गी के दौरों की खास वजहों में से एक है.इस कीड़े की 5 हजार से ज्यादा प्रजातियां बताई जाती हैं. भारत में टेपवर्म से होने वाली परेशानी 20-25 साल पहले सामने आई. तब देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग सिर में तेज दर्द की शिकायत के साथ हॉस्पिटल पहुंचे और उन्हें मिर्गी की तरह दौरे पड़ रहे थेअब बहुत सी जगहों पर पत्ता गोभी की जगह बजाय लेट्यूस लीव्स इस्तेमाल की जाती है. इस कीड़े का लार्वा पालक, मछली, पोर्क या बीफ में भी पाया जाता है. इन चीज़ों को भी अच्छी तरह पकाकर खाना चाहिए. एशियाई देशों की तुलना में यूरोपीय देशों में इसका खतरा काफी कम देखा जाता है.


Sunday, 13 January 2019

Funny jokes

WhatsApp funny jok


Interview देने के लिए 2 विद्यार्थी तैयार बैठे थे।

पहिले का  नंबर आया और वो अंदर जाता है।

Officer 😌:- मान लो आप  ट्रेन से यात्रा कर रहे हो, और  अचानक आपको गरमी लगे तो आप  क्या करोगे??

विद्यार्थी😌:- मैं खिड़की खोलूँगा।

Officer 🤪:- बहुत खूब, अब ये बताओ कि अगर
उस  खिडकी का  क्षेत्रफळ 1.5 sq.m है, डिब्बे का  घनफल 12 m3, और  ट्रेन 80 km/hr से पश्चिम दिशा की ओर जा रही है, और वायु का गति वेग
5 m/s दक्षिण की ओर है तो डिब्बा कितने समय में ठंडा होगा??

उस विद्यार्थी को कोई उत्तर देते नही हुआ और वो फेल हो गया।

बाहर आकर अपने मित्र को वो  प्रश्न बताया।

अब दूसरे विद्यार्थी की बारी आई।

Officer 😊:- :- मान लो आप  ट्रेन से यात्रा कर रहे हो, और  अचानक आपको गरमी लग  रहा है, तब आप  क्या करोगे??

2रा विद्यार्थी 😌:- मैं मेरा  कोट निकालकर अलग रख दूँगा।

Officer🤨:- फिर भी गरम हो रहा है, तो  फिर ?

विद्यार्थी😌:- मैं शर्ट उतार दूँगा।

Officer (चिढ कर) 😤:- अरे फिर भी  गरम हो रहा हो  तब क्या करोगे?

विद्यार्थी😌:- मैं बनियान भी उतार दूँगा ।

Officer (गुस्से में) 😡:-  फिर भी गर्मी लग रही है तो?

*विद्यार्थी:- गरमी से मर जाऊंगा लेकिन खिड़की नहीं खोलूंगा।*


2. डॉक्टर :- क्या तकलीफ है . 


रमेश :- डॉक्टर साहब रोज रात को सोते हुए मुझे यह डर लगता है कि मेरे पलंग के नीचे कोई तो भी छुपा हुआ है इस वजह से  मुझे नींद नहीं आती है।

डॉक्टर :-

इसके लिए आपको 6 महीने तक लगातार हर हफ्ते आना पड़ेगा ।

रमेश :- आपकी एक बार की कितनी फीस होगी डॉक्टर साहब ़़़़़

डॉक्टर :- तीन हजार.

6 महीने बाद  रस्ते में डॉक्टर को रमेश दिखता है

डॉक्टर :- क्या हुआ रमेश  तुम तो वापस इलाज के लिए   आए ही नहीं?

रमेश :- डाक्टर साहब,  मेरे एक मित्र ने मेरा इलाज कर दिया और मेरे करीब करीब लाख रुपए बच गये

डॉक्टर :- क्या बात है, ऐसा  आपके दोस्त ने क्या इलाज किया...

रमेश :- कुछ नहीं, उसने कहा की पलंग बेचकर गद्दे जमीन पर बिछा कर सोया कर...

😫😩

*Morel of story is*.
चोर डॉक्टर के पास जाने के पहले अपने मित्रों से चर्चा कर लिया करे
*कारण जहां मित्र होता है वह किसी तरह का स्वार्थ नहीं होता है  , मित्र मित्र होता है*                  🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
😆😁😊😅😁😃😅😁😃

Tuesday, 8 January 2019

Tom and Jerry real video

Tom and Jerry real vide


Tom and jeeJe ka caroon to aap ne dekha hi
Hoga magar real Tom and jerJe dekhna ho
To aap mere chennal ' tech and funny video' video

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Tom and Jerry  real video 


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