Sunday, 7 October 2018

Love poetry

Love shayeri 

यूँ ही बेवजह एक तस्वीर रेत पर उकेरती हैं उँगलियाँ,
लिख कर तेरा नाम जमीं पर मिटा देती हैं उँगलियाँ,
है मालूम कि लहरों को नहीं रास ये आने वाला,
चंद लम्हों में..
जी भर के एहसास-ए-मोहब्बत जी लेती हैं उँगलियाँ। 

बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
आप खुश रहें.. मेरा क्या है..
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है!

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